कोरोना वायरस की महामारी काल में डॉक्टर को भगवान का रुप माना जाता है। राजकोट शहर के रिंगरोड पर ऐसी ही एक घटना सामने आई है। जिसमें चिकित्सक ने युवक की जान बचाने का प्रयास किया था। उन्होंने अपना चिकित्सकीय धर्म निभाया। मंगलवार को सुबह गुजरात के राजकोट शहर में रिंगरोड पर स्टर्लिंग अस्पताल में ड्युटी करनेवाले डॉ. अजीत सिंह वॉकिंग करने के लिए निकले थे। उस समय गुलाम हुसैन नामक एक युवक को अचानक अटैक आने से वह रास्ते पर ही गिर गये थे। उस समय डॉ. अजीत सिंह ने समय की नजाकत को परखते हुए युवक की पंपिंग शुरु कर दी। उसी समय अपेक्षा सुवा नामक नर्स भी वहां से गुजर रही थी तो उन्होंने भी माउथ टु माउथ सांस देना शुरु कर दिया। दोनों मेडिकल पर्सन की इस कार्यवाही से युवक के सांस फिर शुरु हो गये। बाद में उसे उपचार हेतु 108 के माध्यम से अस्पताल ले जाया गया, किंतु रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। एक तरफ कोरोना वायरस की महामारी चल रही है […]
उन्होंने भी माउथ टु माउथ सांस देना शुरु कर दिया कोरोना वायरस की महामारी काल में डॉक्टर को भगवान का रुप माना जाता है। राजकोट शहर के रिंगरोड पर ऐसी ही एक घटना सामने आई है। जिसमें चिकित्सक ने युवक की जान बचाने का प्रयास किया था। उन्होंने अपना चिकित्सकीय धर्म निभाया। मंगलवार को सुबह गुजरात के राजकोट शहर में रिंगरोड पर स्टर्लिंग अस्पताल में ड्युटी करनेवाले डॉ. अजीत सिंह वॉकिंग करने के लिए निकले थे। उस समय गुलाम हुसैन नामक एक युवक को अचानक अटैक आने से वह रास्ते पर ही गिर गये थे। उस समय डॉ. अजीत सिंह ने समय की नजाकत को परखते हुए युवक की पंपिंग शुरु कर दी। उसी समय अपेक्षा सुवा नामक नर्स भी वहां से गुजर रही थी तो उन्होंने भी माउथ टु माउथ सांस देना शुरु कर दिया। दोनों मेडिकल पर्सन की इस कार्यवाही से युवक के सांस फिर शुरु हो गये। बाद में उसे उपचार हेतु 108 के माध्यम से अस्पताल ले जाया गया, किंतु रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। एक तरफ कोरोना वायरस की महामारी चल रही है […]
उन्होंने भी माउथ टु माउथ सांस देना शुरु कर दिया
कोरोना वायरस की महामारी काल में डॉक्टर को भगवान का रुप माना जाता है। राजकोट शहर के रिंगरोड पर ऐसी ही एक घटना सामने आई है। जिसमें चिकित्सक ने युवक की जान बचाने का प्रयास किया था। उन्होंने अपना चिकित्सकीय धर्म निभाया।
मंगलवार को सुबह गुजरात के राजकोट शहर में रिंगरोड पर स्टर्लिंग अस्पताल में ड्युटी करनेवाले डॉ. अजीत सिंह वॉकिंग करने के लिए निकले थे। उस समय गुलाम हुसैन नामक एक युवक को अचानक अटैक आने से वह रास्ते पर ही गिर गये थे।
उस समय डॉ. अजीत सिंह ने समय की नजाकत को परखते हुए युवक की पंपिंग शुरु कर दी। उसी समय अपेक्षा सुवा नामक नर्स भी वहां से गुजर रही थी तो उन्होंने भी माउथ टु माउथ सांस देना शुरु कर दिया। दोनों मेडिकल पर्सन की इस कार्यवाही से युवक के सांस फिर शुरु हो गये। बाद में उसे उपचार हेतु 108 के माध्यम से अस्पताल ले जाया गया, किंतु रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। एक तरफ कोरोना वायरस की महामारी चल रही है ऐसे में कोई एक दूसरे को स्पर्श करने तक भी तैयार नहीं होता। ऐसे में इन दोनों मेडिकल पर्सन ने किसी प्रकार की जाति-पांति के भेदभाव के बिना या संक्रमण की चिंता किए बिना युवक की जान बचाने के लिए प्रयास किया।
किंतु प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था। ऐसे समय में माउथ टु माउथ सांस देना खतरनाक माना जाता है। किं तु अपेक्षा सुवा नामक इस युवती ने युवक को बचाने के लिए असाधारण प्रयास किया। इस तरह उपचार देना यह एक ईश्वरीय कार्य से कम नहीं कहा जा सकता।
डॉ. अजीत सिंह ने कहा कि युवक जब उपचार के लिए ले जाया गया तब ही बीच रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। 108 जब घटनास्थल पर पहुंची तब पल्स आ गया था। मैंने जितना प्रयास नहीं किया उतना तो नर्स ने प्रयास किया था। सुबह 7 बजे के आसपास यह घटना हुई। जबकि अपेक्षा सुवा ने कहा कि मैं भी सुबह वॉकिंग करने के लिए जाती हूं। वॉकिंग करते हुए ये अंकल अचानक ही बैठ गए थे। जिससे मैं वहां गई और सीपीआर देना शुरु कर दिया। मैंने आसपास से लोगों को बुलाया तो लोग भी वहां दौड़े आए। मैं ऐसे कैसे मान लूं कि उन्हें कोरोना है। नहीं भी हो सकता है। उस समय मुझे तो कैसे भी करके उस व्यक्ति की जान बचाना था।
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