पूजन से दूर होगा कालसर्प रोग
अनारद. नागपंचमी इस बार 25 जुलाई को रवि योग में मनाई जाएगी। इस दिन शेषनाग, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा करने से ऋणग्रस्तता व असाध्य बीमारियों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक शास्त्री के मुताबिक रवि योग में नाग देवता के पूजन से कालसर्प दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य पं अशोक शास्त्री के अनुसार नाग पंचमी पर चंद्रमा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र दोपहर 2.17 बजे के बाद हस्त नक्षत्र में चला जाएगा और सूर्य पुष्य नक्षत्र में रहेगा। इससे इस समय रवि योग निर्मित हो गया। नागपंचमी उदयातिथि होने के कारण पूरे दिन रहेगी। डॉ. शास्त्री ने बताया कि जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य, राहु-केतु के साथ बैठा हो या उनसे देखा जा रहा हो या ग्रहण योग हो, कर्ज योग हो, ऐसे जातक नागपंचमी की पूजा करके ऋण मुक्त हो जाते हैं।
नागपंचमी पर किया था कालिया नाग का मान मर्दन: भगवान कृष्ण ने कालिया नाग का मान मर्दन नाग पंचमी के दिन ही किया था। डॉ. शास्त्री के अनुसार कालिया नाग के जहर के कारण यमुना नदी का एक मील तक का पानी जहरीला हो गया था। गोकुलवासी इस क्षेत्र में नहीं जाते थे। एक बार इसी क्षेत्र में गेंद खेलते समय वह पानी में चली गई। जिसे लेने के लिए कन्हैया ने यमुना नदी में छलांग लगा दी। जब भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग से गेंद मांगी तो वह क्रोधित हो गया। उसका और श्रीकृष्ण का भीषण युद्ध हुआ, जिसमें वह हार गया। क्षमा मांगने पर भगवान ने उसे माफ कर दिया और यमुना छोडकर समुद्र में जाने का आदेश दिया।
लोक जीवन में मनुष्य के मित्र हैं नाग: लोक जीवन में लोगों का नागों से गहरा नाता रहा है। यही कारण वासुकी नाग को भगवान शंकर गले में धारण करते हैं और भगवान विष्णु की शैया शेषनाग पर है। वर्षा ऋतु में अक्सर नाग भू गर्भ से निकल कर भूतल पर आ जाते हैं। वह किसी के अहित का कारण न बनें इसके लिए भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी की पूजा की जाती है।
भगवान भोलेनाथ का करें अभिषेक
नागपंचमी पर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने से अभिष्ट की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों का कहना है कि भोलेनाथ का अभिषेक करने से कालसर्प दोष, ग्रह शांति होती है। नाग पंचमी पर भगवान का दूध, दही, शहद से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही उन पर इत्र जरूर चढ़ाना चाहिए।
चंदन, दूध, चावल से करें नाग देवता की पूजा: नाग पंचमी पर नाग देवता, उसकी आकृति, स्थान अथवा भगवान शिव के गले मे पडे सर्प की मूर्ति की पूजा करने का विधान है। पूजा में लाल वस्तु जैसे सिंदूर, रोली, केशर, लाल वस्त्र, लाल पुष्प का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चंदन व चंदन का इत्र, सफेद रंग की वस्तुएं, चावल, दूध आदि से पूजा करनी चाहिए। कभी भी नाग को दूध नहीं पिलाना चाहिए। कहते है दूध पिलाने से उसकी मृत्यु हो जाती है, जिससे एक और कालसर्प दोष जीवन में बंध जाता
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