चायनीज के बजाय देसी राखी की मांग ज्यादा, १.५० रुपए से ५० रुपए तक की राखी
भीलवाड़ा .
कोरोना संक्रमण के बीच भाई.बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन तीन अगस्त को है। इसके लिए बाजार में अभी से राखियां नजर आने लगी हैं। पर्व के लिए इस बार देसी राखियों की मांग बढ़ी है। ऑनलाइन घर.घर राखियां पहुंच रही हैं। अभी कोलकाता से बड़ी संख्या में राखियां मंगवाई जा रही हैं। इसमें डिजाइनर राखियां काफी पसंद की जा रही हैं। राखियों में विशेषकर जरदोजीए मोती और मिरर वर्कवाली राखियों को लोग पसंद कर रहे हैं। हालांकि रक्षाबंधन का पर्व अभी दूर है। फिर भी बहनें पर्व की खरीदारी कर रही हैं। विशेषकर दूर बैठे भाइयों को भेजने के लिए पहले से तैयारी कर रही हैं। वहीं इस बार चायनीज राखियों से तौबा कर देसी राखियों को दुकानदार समेत घरों से ऑनलाइन के माध्यम से व्यापारी मंगवा रहे हैं। राखियों में कड़े वालीए ब्रेसलेट समेत अनेक प्रकार की डिजाइनर राखियां पारंपरिक वर्क के साथ आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
पूजन के लिए रेडीमेड डिजाइन
राखियों के साथ ही राजस्थानी परिवारों में रक्षाबंधन के दिन घर के दरवाजों में फूलए स्वास्तिक समेत अन्य आकृतियां बनाकर पूजन करने की परंपरा है। इसे पहले गेरू से बनाया जाता था। इस बार अनेक आकर्षक डिजाइन में बाजार में 30 रुपये जोड़ी से शुरू है। वहीं राखियां भी 32 रुपए से शुरू होकर डिजाइन के अनुसार उसकी कीमत है।
बच्चों के लिए कार्टून कैरेक्टेर वाली राखी
बच्चों की हमेशा ही पसंद कार्टून कैरेक्टर रहे हैं। ऐसे में राखियों में भी कार्टून कैरेक्टर उपलब्ध हैं। व्यवसायी पीयूष सोड़ानी ने बताया कि इस बार बाजार में देसी राखियों की मांग ज्यादा है। वैसे भी व्यापारी चायनीज राखियों को कम ही पसंद कर रहे हैं। बाजार में १.५० रुपए से लेकर ५० रुपए तक की राखियां बाजार में खूब बीक रही है।
सावन का अन्तिम सोमवार को राखी
रक्षाबंधन पर्व 3 अगस्त को सावन के अंतिम सोमवार को मनाया जाएगा। सुबह 9.29 बजे तक भद्रा रहेगी। इसके बाद से बहनें सुविधानुसार श्रेष्ठ मुहूर्त में भाइयों की कलाइयों पर रक्षा सूत्र बांध सकेंगी। पंडितों अशोक व्यास के अनुसार सोमवार को रक्षाबंधन का संयोग देश के लिए शुभ माना गया है। भद्रा सूर्य की पुत्री है, जो इस बार रक्षाबंधन के दिन सुबह 9.29 बजे तक रहेगी। रक्षाबंधन के दिन सुबह 7.20 बजे तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है, उसके बाद श्रवण नक्षत्र लग जाएगा। इस दिन सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक शुभ, दोपहर 1.30 से 3 बजे तक चर, दोपहर 3 से 4.30 बजे तक लाभ, शाम 4.30 से 6 बजे तक अमृत एवं शाम 6 से 7.30 बजे तक चर का चौघडिय़ा रहेगा।
व्यास ने बताया कि जन्म कुंडली में शनि, राहू, केतू और अन्य ग्रहों का कष्ट है तो सावन में महादेव की आराधना करें। इससे पूर्व 20 जुलाई को सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या का संयोग बन रहा है। 23 को श्रावणी तीज है और 25 को नागपंचमी मनेगी। १२ अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष संयोग रहेंगे।
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